छुपके छुपके सावन आया
खुशियों की वो बहार लाया
चलो सखी हम झुला झूले
हरियाली में खेले-कूदे
छुक -छुक करती मेरी गाडी
बजाती आई मधुर शहनाई
आओ इस पर बैठ कर हम
मौज उड़ाते मौज उड़ाते
कितना नीला गगन निराला
मानो पंछी हो बोलने वाला
मितभाषी मेघ तुम जरा बता दो
अम्बर के कोई गीत सुना दो

पुष्प कली पर महके महके
तितलियों को भी गाने दो
कुएँ, खड़ीन और नहर, बावड़ी
इन्दर को वज्र गिराने दो
WRITTEN BY - योगेन्द्र सिंह राजावत
पाली मारवाड़
WRITTEN BY - योगेन्द्र सिंह राजावत
पाली मारवाड़
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